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कांग्रेस भवन में निकाय चुनाव के नतीजों को लेकर मंगलवार को हुए हंगामे के बाद आक्रोशित कांग्रेस नेता अब प्रादेशिक नेताओं से मिलकर दुर्ग के प्रमुख कांग्रेस नेताओं की करतूत बताएंगे। मंगलवार को राजीव भवन में हंगामे के बाद आधा दर्जन कांग्रेस नेता रायपुर पहुंचे और प्रदेश के टॉप सीनियर कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की। हालांकि नाराज कांग्रेस नेताओं की मुलाकात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज से नहीं हो पाई।
नाराज कांग्रेस नेताओं ने सीनियर नेताओं से मुलाकात के दौरान नगरीय निकाय चुनाव में दुर्ग के प्रमुख कांग्रेस नेताओं के रवैये पर गहरी नाराजगी जताई। चुनाव के दौरान एक बार भी बूथ स्तर पर बैठक नहीं हुई। चुनावी रणनीति नहीं बनाई गई। केवल जनसंपर्क दौरा किया गया और मीडिया व सोशल मीडिया में फोटूबाजी और बयानबाजी की गई। प्रत्याशी चयन के मामले में दिशानिर्देशों का पालन नहीं हुआ।
आक्रोशित कांग्रेसी दीपक बैज से भी मिलेंगे … प्रस्ताव भी तैयार किया
आक्रोशित कांग्रेस नेताओं ने दुर्ग के प्रमुख कांग्रेस नेताओं की कार्यशैली पर प्रहार करते हुए एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं –
- दुर्ग शहर में कई साल से कुछ कांग्रेस नेताओं का एकाधिकार चल रहा है। चुनाव हारें या जीतें, इन नेताओं की मनमानी और संगठन के प्रति बेपरवाही भरे रवैये पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है। जिम्मेदारी तय करने के साथ ऐसे नेताओं पर कार्रवाई होनी चाहिये।
- दुर्ग कॉंग्रेस को गुटबाजी से बचाने अरुण वोरा, आरएन वर्मा, धीरज बाकलीवाल, राजेन्द्र साहू, राजेश यादव, गया पटेल को सभी पदों से मुक्त कर सिर्फ और सिर्फ मार्गदर्शन मंडल में रखा जाए
- जिन नेताओं ने अपने समर्थकों को टिकट दिलाई, उनकी जिम्मेदारी तय हो। पद से इस्तीफा दें जिम्मेदार।
- निकाय चुनाव जीतने के लिये बूथ बैठक नहीं हुई। इस मामले को लेकर सभी ब्लाक अध्यक्षों समेत शहर कांग्रेस अध्यक्ष तत्काल इस्तीफा दें।
- प्रत्याशी चयन के लिए दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया। करारी पराजय के बाद टिकिट दिलाने वाले नेताओं को अब मार्गदर्शक मंडल में रखा जाए
- निकाय चुनाव में घोषणा पत्र, अपील पत्र, पम्पलेट में प्रोटोकाल का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगना चाहिए
- प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को गुमराह करने वाले कॉंग्रेस पदाधिकारी को बर्खास्त करें
- हाईकमान को गुमराह करने, आधी हकीकत बताने वाले टिकिट के दावेदारों पर कार्यवाही होनी चाहिए
- लगातार एक ही पद पर काबिज लोगों को दूसरी जिम्मेदारी दी जाए
- बी फार्म में परिवर्तन, टिकिट बेचने जैसे आरोपों की जांच के लिए समिति बनाई जाए, जहां कार्यकर्ताओं को बात रखने का अवसर मिले
- अलग-अलग प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों ने कितनी जिम्मेदारी से काम किया, इसकी रिपोर्ट लेकर उनकी गतिविधियों औ सक्रियता की जांच की जाए
- महापौर प्रत्याशी समेत 48 पार्षद प्रत्याशी चुनाव हार गए हैं। जिसकी समीक्षा कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में होनी चाहिए।
- बड़े नेता चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने संगठनात्मक पदों से त्यागपत्र दें।


