
- वोरा के सिवा बेहाल शहर का हाल देखने कोई नहीं निकला
चैनल 9 . लाइफ
दुर्ग शहर में बीते दो दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। शहर के हर वार्ड में जलभराव, बिजली के करंट का खतरा और लोगों के घरों में सांप-बिच्छू जैसे जहरीले जीवों के घुसने की घटनाएं सामने आ रही हैं। जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है। इसके बावजूद अब तक प्रशासनिक टीमें फील्ड से गायब हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पूर्व विधायक अरुण वोरा आज सुबह 6 बजे ही शहर के हालात का जायज़ा लेने के लिए सड़कों पर उतर आए।

उन्होंने शहर के कई जलभराव वाले क्षेत्रों का दौरा किया। सेंट्रल स्कूल में भरे पानी की स्थिति पर चिंता जताई। उपस्थित बच्चों से बातचीत की। वोरा ने शहर के विभिन्न मोहल्लों, मुख्य बाज़ारों और झुग्गी बस्तियों का दौरा कर स्थानीय नागरिकों से बातचीत की और प्रशासन को तत्काल राहत देने के निर्देश देने की मांग की।
उन्होंने प्रशासन से विशेष रूप से झोपड़पट्टी इलाकों में राहत पहुंचाने और स्वास्थ्य टीमों की तैनाती की अपील की। उन्होंने कहा कि “अब केवल निरीक्षण से नहीं, तुरंत कार्रवाई से ही लोगों को राहत मिलेगी।”
शंकर नाला से बढ़ी मुसीबत, शंकर नगर जलमग्न
दुर्ग शहर के 11 वार्डों से होकर गुज़रने वाले शंकर नाला उफन रहा है। शंकर नगर क्षेत्र पूरी तरह जलमग्न हो गया है। स्थिति इतनी गंभीर है कि घरों में 2-2 फीट तक पानी भर गया है। लोग सड़कों पर बाहर खड़े होकर प्रशासनिक मदद का इंतज़ार कर रहे हैं।
अरुण वोरा ने प्रशासन से मांग की है कि तुरंत राहत व बचाव दल भेजा जाए और लोगों के रहने, भोजन और स्वस्थ्य की उचित व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि “यह केवल जलभराव नहीं, मानवीय संकट बनता जा रहा है। वोरा ने बताया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में शंकर नाला सुधार योजना के लिए 18 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे, जिसमें से 12 करोड़ रुपये के कार्यों को पूरा किया गया। इसके बाद बचा हुआ कार्य ठप पड़ गया और वर्तमान सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यह कार्य पूर्ण हो जाता, तो आज जलभराव की स्थिति नहीं बनती।
उन्होंने मांग की है कि इस योजना की प्रगति की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए और जल्द से जल्द अधूरे कार्यों को पूरा किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी आपदा से बचा जा सके।
शिवनाथ नदी में जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। मोंगरा जलाशय से 51,700 क्यूसेक, घुमरिया से 8,800 क्यूसेक और अन्य जल स्रोतों से 1,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे नदी के किनारे बसे क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा गहरा गया है। महमरा एनीकट का जलस्तर 4 फीट तक बढ़ चुका है और लगातार बढ़ने की आशंका बनी हुई है।
वोरा ने कहा, “बारिश की वजह से सबसे अधिक संकट में वो लोग हैं जो कच्चे मकानों में रहते हैं। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे बस्तियों में तुरंत राहत टीमें भेजी जाएं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए।” वोरा ने शहर के नागरिकों से अपील की कि वे सावधानी बरतें। बिना ज़रूरत के घर से बाहर न निकलें और आपात स्थिति में संबंधित विभाग से संपर्क करें।


