
- आम जनता के बीच वोरा की लोकप्रियता बरकरार, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में भी वोरा पॉवरफुल
- दिनोंदिन बढ़ रही पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल की संगठन शक्ति
चैनल 9 . लाइफ
दुर्ग। आम तौर पर चुनावी मौसम में ही राजनीतिक दलों में सबसे ज्यादा उलटफेर होते हैं, लेकिन दुर्ग शहर की राजनीति पर काफी अरसे बाद बेमौसम बारिश के आसार नजर आ रहे हैं। हालत ये है कि विपक्ष में रहने के बावजूद शहर में कांग्रेस के दो शक्ति केंद्र बन चुके हैं। दो पॉवरसेंटर बनने के कारण कांग्रेसी हलकों में आगामी दिनों में बड़े उलटफेर की अटकलें भी चल रही हैं।
खास बात ये है कि दुर्ग की पॉलिटिक्स में पूर्व विधायक अरुण वोरा को पहली बार अपने लोगों से कड़ी चुनौती मिल रही है। बीते कई दशकों से वोरा परिवार के चिरपरिचित विरोधी रहे तमाम गुटों के नेता भी वोरा के खिलाफ लामबंदी में जुट गए हैं। इस वजह से कांग्रेस में काफी तेजी से समीकरण बदल रहे हैं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वोरा पहले जितने पॉवरफुल थे, आज भी उतने ही पॉवरफुल हैं। दुर्ग में वोरा की राजनीतिक ताकत को चुनौती दे पाना आसान नहीं होगा।
तीन साल में बदल गए समीकरण
साढ़े पांच साल पहले हुए नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस की बंफर जीत के बाद दिग्गज कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और उनके पुत्र तत्कालीन विधायक अरुण वोरा की पसंद से महापौर पद पर धीरज बाकलीवाल की ताजपोशी की गई। नगर निगम के शुरुआती दो साल के कार्यकाल में अरुण वोरा और धीरज को राम-लक्ष्मण की जोड़ी बताया गया। खुद वोरा और धीरज भी इस बात की तस्दीक करते रहे। लेकिन, इसके बाद का कालखंड दोनों के बीच की दूरियां बढ़ाने लगा। वोरा लगातार धीरज पर नकेल कसकर रखना चाहते थे। दूसरी ओर, लोकप्रियता बढऩे के साथ ही धीरज की महत्वाकांक्षा भी पनपने लगी। इसी रस्साकशी में दोनों के बीच राजनीतिक तल्खियां बढऩे लगी। विधानसभा चुनाव में तत्कालीन महापौर धीरज पर निष्ठा से काम न करने के आरोप भी लगाए गए। नगर निगम चुनाव में भी अरुण और धीरज के बीच उपजे मतभेदों की खाई लगातार चौड़ी होती चली गई।
– संगठन की एकता में बिखराव
फिलहाल, कांग्रेस का राजनीतिक सीन ये है कि दुर्ग शहर में कांग्रेस का शिराजा बिखर चुका है। कांग्रेस संगठन और पार्षद दल की ताकत वोरा कैंप और धीरज कैंप में बंट चुकी है। कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता दोनों नेताओं की खेमेबाजी में उलझ कर रह गए हैं। दुर्ग में कांग्रेस के वोरा कैंप का शुरू से विरोध करने वाले कुछ नेता अब धीरज को बैक सपोर्ट दे रहे हैं।
असंतुष्ट नेताओं का धड़ा अलग-थलग
कांग्रेस में कई असंतुष्ट नेताओं का एक धड़ा भी है, जो न वोरा के साथ है, न धीरज को समर्थन देने के लिये तैयार हो रहा है। असंतुष्ट नेताओं में ज्यादातर ऐसे कांग्रेस नेता शामिल हैं जिन्हें कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मनचाहा ओहदा नहीं मिला। असंतुष्ट नेताओं ने इसके लिये समय-समय पर सार्वजनिक रूप से अरुण वोरा को जिम्मेदार मानते हुए आलोचना भी की है। धीरज के महापौर कार्यकाल के दौरान किसी न किसी रूप में उपकृत होने वाले कांग्रेसियों ने अब वोरा से नाता तोड़ लिया है। अब इन कांग्रेसियों का जमघट धीरज के निवास पर बढऩे लगा है।
– भाजपा की नजर … वोरा, धीरज की गुटीय लड़ाई पर
कांग्रेस नेताओं के बीच पनप रही वैमनस्यता और दुर्ग शहर के कांग्रेसियों के बीच गुटीय खाई बढ़ती देखकर भाजपा नेता मजे ले रहे हैं। दुर्ग शहर विधायक गजेंद्र यादव और महापौर अलका बाघमार कांग्रेसी खेमे में पड़ी फूट पर नजर भी रख रहे हैं। हालांकि ज्यादातर भाजपा नेता अभी भी वोरा को दुर्ग में ज्यादा प्रभावशाली मानते हैं। भाजपा के लिये बड़े खतरे के रूप में वोरा को ही गिना जा रहा है। इसके बावजूद धीरज की बढ़ती ताकत पर भाजपा पैनी नजर रखे हुए हैं।


